Mesopotamiya ke sabhyata ke bare me vistrit jankari

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इस पोस्ट में मेसोपोटामिया की सभ्यता से जुड़े इन निम्न बिंदुओं के बारे में विस्तृत चर्चा करेंगे




  1. मेसोपोटामिया का मतलब
  2. मेसोपोटामिया की सभ्यता में दजला और फरात नदियों का योगदान
  3. मेसोपोटामिया के लोगों का सामाजिक जीवन
  4. मेसोपोटामिया के लोगों का खान-पान एवं रहन सहन
  5. मेसोपोटामिया के लोगों का धार्मिक जीवन एवं रीति रिवाज
  6. मेसोपोटामिया के लोगों का आर्थिक जीवन
  7. मेसोपोटामिया के लोगों की बौद्धिक उपलब्धियां



नमस्ते दोस्तों!
दोस्तों आज आपसे बात करने जा रहे हैं विश्व के इतिहास की मेसोपोटामिया की सभ्यता के बारे में तो चलिए करते हैं डिटेल में चर्चा को शुरू दोस्तों!

मेसोपोटामिया की सभ्यता
मेसोपोटामिया की सभ्यता


मेसोपोटामिया का मतलब

दोस्तों मेसोपोटामिया के मेसो का मतलब होता है, "मध्य" और पोटामिया का अर्थ होता है "नदी", यानी कि दो नदियों के बीच के क्षेत्र को मेसोपोटामिया कहा जाता है। दोस्तों पश्चिमी एशिया मे फारस की खाड़ी के उत्तर में स्थित वर्तमान इराक को पहले के जमाने में मेसोपोटामिया कहा जाता था इन नदियों के मुहाने पर सुमेरियन बीच में भी बेबीलियन तथा उत्तर में असरिया सभ्यता का विकास हुआ इन सभ्यताओं के विषय में यह कहावत प्रचलित है कि सुमेरिया ने सभ्यता को जन्म दिया वही बेबिलोनिया ने उसे उत्पत्ति के चरम शिखर तक पहुंचाया तथा असीरिया ने उसे आत्मसात किया।

मेसोपोटामिया की सभ्यता में दजला और फरात नदियों का योगदान

फायदा

दोस्तों जिन दो नदियों के मध्य मेसोपोटामिया की सभ्यता विकसित हुई वह दो नदिया थी दजला और फरात यह दजला और फरात नदियां उत्तर के हिम पर्वतों से निकलकर मेसोपोटामिया के समतल मैदान को सदैव सिंचाई के लिए पानी और उपजाऊ मिट्टी प्राप्त करवाती थी क्योंकि मेसोपोटामिया की समतल मैदान की जो ढाल है वह दक्षिण की ओर थी।

नुकसान

दोस्तों शुरू शुरू में इन नदियों मैं आए बाढ़ के कारण मेसोपोटामिया के समतल मैदान कुछ दिनों के लिए खेती के लिए अनुपयुक्त हो जाते थे। लेकिन फिर धीरे-धीरे मनुष्य के बौद्धिक कौशल का विकास हुआ और उसने नहरों का निर्माण किया जिसकी सहायता से नदियों का पानी नहरों के द्वारा बाहर निकल जाता और इससे नदियों के किनारे भी नहीं टूटते थे जिससे बाढ़ का संकट खत्म हो गया। दोस्तो  यह था मेसोपोटामिया की सभ्यता में दजला और फरात नदियों की भूमिका|

मेसोपोटामिया के लोगों का सामाजिक जीवन




दोस्तों मेसोपोटामिया का समाज तीन प्रमुख वर्गों में बांटा हुआ था सबसे पहले आता है-

प्रथम वर्ग   दोस्तों प्रथम वर्ग में राजवंश के सदस्य उच्च पदाधिकारी पुरोहित व सामन्त आदि आते थे इन लोगों का जीवन बहुत ही वैभवशाली और ऐश्वर्य पूर्ण था इन्हें किसी चीज का रोक-टोक नहीं था इनके पास धन संपत्ति की थोड़ी भी कमी नहीं थी और समाज में उनकी बहुत इज्जत भी थी। और प्रथम वर्ग को उच्च वर्ग भी कहा जाता था।



द्वितीय वर्ग दोस्तों दूसरे नंबर पर यानि की द्वितीय वर्ग में छोटे सरदार,व्यापारी आदि आते थे इन लोगों का जीवन भी सुख में था संतोषजनक था और द्वितीय वर्ग को मध्य वर्ग भी कहा जाता था।


तृतीय वर्ग  तृतीय वर्ग में निम्न श्रेणी के लोग आते थे और उनमें अधिकतर दास सम्मलित थे। दासो का जीवन बहुत ही कष्ट में था। लेकिन शासक हम्मूराबी के काल में उनके साथ कठोर व्यवहार नहीं किया जाता था।



मेसोपोटामिया के लोगों का खान-पान एवं रहन सहन


  1. दोस्तों मेसोपोटामिया के लोग आमतौर पर अपने भोजन में गेहूं तथा जौ की रोटी दूध, दही, मक्खन, फल आदि का प्रयोग करते थे और वे खजूर से आटा चीनी था पीने के लिए शराब भी तैयार करते थे, और फ्रेंड अगर घर में अनाज नहीं है तो वह लोग मांस मछली का भी सेवन करते थे। 
  2. दोस्तों मेसोपोटामिया के लोग पक्की ईंटों के मकान बनाते थे। और गंदा पानी बाहर निकालने के लिए मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के नगरों के समान नालिया भी बनाते थे। और मकान की दीवारों पर चित्रकारी भी करते थे।


मेसोपोटामिया की समाज में स्त्रियों की दशा

मेसोपोटामिया के समाज में स्त्रियों को बहुत सम्मान प्राप्त था आमतौर पर एक पत्नी विवाह की प्रथा प्रचलित थी।और साथ ही पर्दा प्रथा राज परिवारों तक ही सीमित था|दहेज का भी प्रचलन था लेकिन विवाह में पिता से प्राप्त दहेज पर केवल और केवल बहू का ही अधिकार होता था| और यदि पति की मृत्यु हो जाती है तो विधवा को पति की संपत्ति को बेचने का पूरा अधिकार प्राप्त था|मेसोपोटामिया के समाज में वेश्यावृत्ति और बहु विवाह भी प्रचलित थे|



 मेसोपोटामिया के लोगों का धार्मिक जीवन एवं रीति रिवाज



  1. दोस्तों मेसोपोटामिया के लोग भी भारत की तरह ही अनेक प्रकार के देवी देवता में विश्वास करते थे जैसे हमारे यहां सूर्य के देवता को सूर्य देव कहा जाता है वही सूर्य के देवताओं को मेसोपोटामिया के लोग "शमाश" के नाम से पुकारते हैं आकाश देवता को "अनु" के नाम से वायु देवता को "एनलिल" नाम से और चंद्र देवता को "नन्नार" नाम से पुकारते थे।
  2. मेसोपोटामिया के लोग बहूदेववादी विचार धारा में विश्वास करते थे मेसोपोटामिया के प्रत्येक नगर में एक प्रधान मंदिर होता था और यह मंदिर नगर के किसी पवित्र क्षेत्र में किसी पहाङी या ईटों के बने चबूतरे पर बनाए जाते थे जिन्हें जिगुरात कहा जाता था।
  3. मेसोपोटामिया के लोग भौतिकवाद में आस्था रखते थे। उन लोगों का ऐसा मानना था कि केवल देवता को प्रसन्न करके ही भौतिक सुखों को प्राप्त किया जा सकता है।
  4. मेसोपोटामिया के लोग पशु में भेड़ बकरियों की बलि भी चढ़ाते थे।
  5. जिस प्रकार पुराने जमाने में बहुत लोग अंधविश्वासी थे।उसी प्रकार मेसोपोटामिया के लोग भी अंधविश्वासी थे जादू-टोना,भूत-प्रेत, भविष्यवाणी,ज्योतिष इन सब बातों में बहुत विश्वास रखते थे और बाढ, अकाल या किसी प्रकार की महामारी को वह भगवान यानी कि देवता का प्रकोप मानते थे।
  6. दोस्तों इसके अलावा मेसोपोटामिया के लोग बहुत ही नैतिकता पूर्ण जीवन व्यतीत करते थे जैसा कि आप सभी जानते हैं झूठ बोलना घमंड करना दूसरों को प्रसन्न करना एक दूसरे से घृणा करना जो कि आज के समय में आम बात बन चुकी है उस समय मेसोपोटामिया के लोगों में ऐसा कुछ नहीं था वह लोग अक्सर सच बोलते थे और एक दूसरे से प्रेम से मिलजुल कर रहा करते थे।
  7.  मेसोपोटामिया के लोगों का एक बहुत ही अच्छी विचारधारा थी कि वे लोग वर्तमान का महत्व करते थे।जिस प्रकार अभी भी यहां विचारधारा प्रचलित है कि हमेशा हमें अपने वर्तमान के बारे में सोचना चाहिए। जो हो गया सो हो गया और जो आने वाला है उसकी चिंता ना कर के जो वर्तमान है उसे अच्छा बनाइए उसके बाद भविष्य अपने आप अच्छा बन जाएगा। उसी प्रकार वे लोग भी  वर्तमान के ही बारे में सोचते थे । वे लोग परलोक को अंधकार तथा अकाल का डेरा मानते थे जहां पर खाने के लिए केवल और केवल मिट्टी मिलती थी अब यह बात कितनी सच है या कितना झूठ यह तो नहीं पता लेकिन मेसोपोटामिया के लोगों का ऐसा मानना था।


 मेसोपोटामिया के लोगों का आर्थिक जीवन


 दोस्तों चलिए अब जानते हैं कि मेसोपोमिया के लोगों का आर्थिक जीवन कैसा था वह लो अखिर पैसे कैसे कमाते थे और कहां पर उसे खर्च करते थे।

  1. दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि मेसोपोटामिया की सभ्यता दजला और फरात नदियों के मध्य विकसित हुई और इसी कारण वहां पर कृषि बहुत अधिक लोग करते थे। जिसके कारण वहां का मुख्य व्यवसाय कृषि ही था।
  2. अब दोस्तों क्योंकि मेसोपोटामिया के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती करना था दोस्तों खेतों में में हल जोतने के लिए गाय भैंस को भी पालते थे। यानी कि फ्रेंड वे लोग पशुओं को पालने का भी काम करते थे। 
  3. दोस्तों मेसोपोटामिया के जो कारीगर थे वे लोग लकड़ी धातु हाथीदात तथा मिट्टी की अनेक प्रकार की कलात्मक वस्तुएं बनाते थे और उसे भारत व चीन के राज्यों में बेचते थे।
  4. अब दोस्तों आपके मन में यह प्रश्न जरूर उठा होगा और अगर नहीं उठा तो भी इसका उत्तर जान लीजिए प्रश्न यह है कि उस समय तो सिक्के थे ही नहीं और ना ही नोट जैसे कि अभी 10 20 50 का नोट है उस समय तो नोट या फिर सिक्के प्रचलन में ही नहीं थे तो  दोस्तों वह लोग चांदी या सोने की टुकड़ी के सिक्कों के स्थान पर अपने सामानों को (यानी कि जो उन्होंने अपनी वस्तुएं बनाई हैं अपनी कड़ी मेहनत के द्वारा) उसे बेचते थे। उस समय बेबीलोन पश्चिमी देशों का एक बहुत ही प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र था।
  5. दोस्तों मेसोपोटामिया के लोगों का समृद्ध होने का मुख्य स्त्रोत विदेशी व्यापार था वह लोग विदेशों से व्यापार करके बहुमूल्य पत्थर सोना चांदी और अच्छे किस्म की लकड़ी और अन्य धातुओं मंगाते थे और उन्हें अपने कारीगरी के द्वारा नए रंग में ढाल कर उसे वापस से बेचते थे।


मेसोपोटामिया के लोगों की बौद्धिक उपलब्धियां



 दोस्तों चलिए अब जानते हैं कि मेसोपोटामियां के लोग क्या पढ़ते थे क्या लिखते थे और उनकी मानसिकता उस समय क्या थी तो दोस्तों जैसा कि हम सभी जानते ही हैं कि पहले के जमाने में लिखने की कला विकसित नहीं हो पाई थी और दोस्तों इसी के लिए मेसोपोटामिया के लोगों ने विश्व में सर्वप्रथम लिपि का आविष्कार किया। उन लोगों ने सबसे पहले लिपी पर जानवरों का चित्र बनाकर उसे प्रदर्शित किया।

रसीद के रूप में लिपि का उपयोग

 दोस्तों जब भी हम कभी किसी दुकान पर सामान लेने जाते हैं तो पैसे देकर सम्मान तो लेते ही हैं लेकिन साथ में दुकानदार से उसकी रसीद भी मांगते हैं ताकि बाद में अगर कुछ हिसाब में गड़बड़ी हो तो उसे मिला सके।लेकिन दोस्तों मेसोपोटामिया की सभ्यता जब विकसित हुई थी तो उनके पास लिखने के लिए पर्याप्त साधन नहीं थे और इसलिए वे लोग लिपि को ही रसीद के रूप में उपयोग करते थे।

लिपि को सुरक्षित कैसे रखते थे

सबसे पहले वे लोग गीली मिट्टी को लेते थे और फिर किसी नुकीली चीज से उस पर संकेतों का उपयोग करते थे। फिर पूरे लिपि पर चित्र बनाकर उसे धूप में सुखवातें थे और फिर उसे आग में तपा कर तिजोरी में रखते थे।

दोस्तों देखिए कि वह लोग अपने रसीद का कितना अच्छी तरह से ध्यान रखते थे और आज के समय में कागज की रसीद जो की एडवांस टेक्नोलॉजी की बन चुकी है। लेकिन फिर भी हम लोगों से संभाल कर नहीं रख पाते हैं कभी पेंट की जेब में रखने पर कपड़े धोते समय  धूल जाती हैं तो कभी कहीं पर फेंक दी जाती हैं।

लिखने की कला

 दोस्तों मेसोपोटामिया के लोगों ने आगे चलकर लिखने की कला का भी आविष्कार किया और जैसा कि वर्तमान में हिंदी वर्णमाला में 36 अक्षर होते हैं अंग्रेजी वर्णमाला में 26 अक्षर होते हैं वैसे ही मेसोपोटामिया के समय में ढाई सौ से भी अधिक अक्षर होते थे दोस्तों आप अब यह सोच सकते हैं कि उनके लिए पढ़ाई करना कितना कठिन होता होगा।

विज्ञान तथा गणित में योगदान


  1. दोस्तों मेसोपोटामिया के लोगों ने  विज्ञान में भी अपना बहुत योगदान दिया उन लोगों ने ज्योतिष, औषधि विज्ञान के क्षेत्र में अपना एक भूतपूर्व योगदान दिया।
  2. दोस्तों वे लोग शुरू शुरू में 1 से 10 तक की गिनिओं के लिए विभिन्न प्रकार के चिन्ह का उपयोग करते थे और साठ लिखने के लिए उसी चिन्ह का प्रयोग करते थे जो कि पांच लिखने के लिए केवल 60 प्रदर्शित हो सके इसके लिए वे लोग पांच को थोड़ा बड़ा करके लिखते थे ताकि वह 60 लगे।

तो फ्रेंड आप अभी सोच सकते हैं कि वे लोगो को लिए उस समय पढ़ना लिखना कितना कठिन होता होगा दोस्तों मेसोपोटामिया में पत्थरों और धातुओं की कमी थी। लेकिन फिर भी उन्होंने विदेशों से आयात करके बड़े-बड़े भवन और मंदिरों का निर्माण किया।

 दोस्तों मेसोपोटामिया की सभ्यता के बारे में यह थी कुछ जानकारी यदि आपको इस पोस्ट से रिलेटेड कोई भी क्वेरी हो तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं हम आपके  कमेंट का जल्द से जल्द जवाब देने की कोशिश करेंगे और यदि आप मेसोपोटामिया की सभ्यता के बारे में और भी कुछ जानते हैं तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं हम अपने पोस्ट में उसे जांच कर एडिट करेंगे
धन्यवाद दोस्तों.

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